वन मृदाएँ अपने नाम के अनुरूप ये मृदाएँ पर्याप्त वर्षा वाले वन क्षेत्रों में ही बनती हैं। इन मृदाओं का निर्माण पर्वतीय पर्यावरण में होता है। इस पर्यावरण में परिवर्तन के अनुसार मृदाओं का गठन और संरचना बदलती रहती हैं। घाटियों में ये दुमटी और पांशु होती हैं तथा ऊपरी ढालों पर ये मोटे कणों वाली होती हैं। हिमालय के हिमाच्छादित क्षेत्रों में इन मृदाओं का अनाच्छादन होता रहता है और ये अम्लीय और कम ह्यूमस वाली होती हैं। निचली घाटियों में पाई जाने वाली मृदाएँ उर्वर होती हैं।
- मिट्टी की बहुत पतली परत : कम विकसित मिट्टी
- क्षितिज खड़ी ढाल पर मिट्टी
- कृषि योग्य मिट्टी नहीं
- स्क्रब के घास का समर्थन करते हैं
- पोडज़ोलिक मिट्टी
- ठंडी नम जलवायु के तहत
- लोहे की लीचिंग – सिलिका शीर्ष मिट्टी में रहती है
- कृषि के लिए अच्छा नहीं है
- लेकिन वानिकी के लिए अच्छा है – लम्बरिंग
- शंकुधारी पेड़ों के पत्तों को Chelating agents के साथ कवर होता है
- ठंडी जलवायु – धीमी जीवाणु प्रक्रिया
- ह्यूमस की मात्रा अधिक होती है